विविधता में एकता का अर्थ है विभिन्न असमानताओं के बावजूद भी अखंडता का अस्तित्व। “विविधता में एकता” की इस अवधारणा के लिये भारत एक बेहतर उदाहरण है।
विश्व में भारत सबसे पुरानी सभ्यता का एक जाना-माना देश है जहाँ वर्षों से कई प्रजातीय समूह एक साथ रहते हैं। भारत विविध सभ्यताओं का देश है जहाँ लोग अपने धर्म और इच्छा के अनुसार लगभग 1650 भाषाएँ और बोलियों का इस्तेमाल करते हैं। संस्कृति, परंपरा, धर्म, और भाषा से अलग होने के बावजूद भी लोग यहाँ पर एक-दूसरे का सम्मान करते हैं साथ ही भाईचारे के ढ़ेर सारी भावनाओं के साथ एक साथ रहते हैं। लोग पूरे भारत की धरती पर यहाँ-वहाँ रहते तथा भाईचारे की एक भावना के द्वारा जुड़े होते हैं। अपने राष्ट्र का एक महान चरित्र है “विविधता में एकता” जो इंसानियत के एक संबंध में सभी धर्मों के लोगों को बाँध के रखता है।
“विविधता में एकता” समाज के लगभग सभी पहलुओं में पूरे देश में मजबूती और संपन्नता का साधन बनता है। अपनी रीति-रिवाज़ और विश्वास का अनुसरण करने के द्वारा सभी धर्मों के लोग अलग तरीकों से पूजा-पाठ करते हैं बुनियादी एकरुपता के अस्तित्व को प्रदर्शित करता है। “विविधता में एकता” विभिन्न असमानताओं की अपनी सोच से परे लोगों के बीच भाईचारे और समरसता की भावना को बढ़ावा देता है।
मनोवैज्ञानिक, वैचारिक, राजनीतिक, धार्मिक, बहु-भाषी, शारीरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक आदि के ढ़ेर सारे भिन्नताओं के बावजूद भी एकता के अस्तित्व पर “विविधता में एकता” ध्यान केन्द्रित करता है। ज्यादा विविधता से एकता में ज्यादा जटिलता होती है। नस्ल, धर्म, जाति, उप-जाति, समुदाय, भाषा और बोली की अधिक विविधता के बावजूद भी भारत में लोग एक हो के रहते हैं। भारत में लोग बहुत ही आध्यात्मिक और स्वाभाव में भगवान से डरने वाले होते हैं इसलिये वो सभी के धर्म को आदर देते हैं।