आज भारतीय सेना दिवस है. एक ऐसा दिन जब हमारी सेना अपनी आजादी का जश्न मनाती है. 15 जनवरी को आर्मी डे मनाने के पीछे दो बड़े कारण हैं. पहला ये कि 15 जनवरी 1949 के दिन से ही भारतीय सेना पूरी तरह ब्रिटिश थल सेना से मुक्त हुई थी. दूसरी बात इसी दिन जनरल केएम करियप्पा को भारतीय थल सेना का कमांडर इन चीफ बनाया गया था. इस तरह लेफ्टिनेंट करियप्पा लोकतांत्रिक भारत के पहले सेना प्रमुख बने थे.
इस खास मौके पर पूरा देश सेना के वीर जवानों के अतुलनीय साहस, शहीद जवानों की शहादत को याद करता है. देशभर में सेना की अलग-अलग रेजिमेंट में परेड के साथ ही झांकियां भी निकाली जाती हैं. इस दिन दिल्ली के इंडिया गेट पर बनी अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है. साथ ही शहीदों के परिवारजनों को सेना मेडल और अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है.
सन् 1776 में कोलकाता में ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय सेना का गठन किया था. पूरे देश में भारतीय सेना की 53 छावनी और 9 बेस हैं. भारतीय सेना में सैनिक अपनी इच्छा अनुसार शामिल होते हैं, उन पर कोई जोर जबरदस्ती नहीं होती है जबकि भारतीय संविधान में सैनिकों को जबरदस्ती भर्ती करवाने का भी प्रावधान होता है लेकिन इसकी आवश्यकता अभी तक नहीं पड़ी.
हमारे देश भारत के असल रक्षक हमारे भारतीय सैनिक हैं. यदि ‘साहस’, ‘वीरता’, ‘समर्पण’, ‘बलिदान’, ‘जोश’, ‘जज़्बा’ आदि शब्दों के ज्वलंत उदाहरणों से साक्षात्कार करना हो तो हमें सीमाओं पर तैनात, हर पल हमारी रक्षा हेतु तत्पर उन ‘दिव्यपुंजों’, हमारे जवानों को देखना चाहिए जो खून को जमा देने वाली ठंड में भी जी-जान एक कर देते हैं, जो जैसलमेर जैसी गर्म जगहों पर ऊंट पर बैठकर, झुलसा देने वाली गर्मी में भी स्वयं की परवाह किए बिना देश की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं, उन असल सुपर हीरोज़ की निःस्वार्थ सेवा भावना के लिए हमें हर पल उनका शुक्रगुज़ार होना चाहिए.
भारतीय सेना का हर एक सैनिक अपने देश और देश के लोगों की रक्षा के लिए अपने प्राण दाव पर लगाता है. वो सैनिक देश की सेवा करने के लिए खुद के भविष्य के बारे में एक बार भी नहीं सोचता.
यह भारतीय सेना का पराक्रम ही है जिनकी वजह से अपना देश और हम सभी लोग सुरक्षित हैं. भारतीय सैन्य व्यवस्था विश्व की श्रेष्ठतम व्यवस्थाओं में से एक है जिसमें सीमित संसाधनों के द्वारा भी विजय प्राप्त करने की क्षमता विद्यमान है. ऐसे अनेकों अवसर आये जब भारतीय सैनिकों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अपनी देशभक्ति का अदभुत परिचय दिया. नभ हो, जल हो, थल हो सेना बोलती नहीं, सेना पराक्रम दिखाती है. भारत का सैन्य बल मानवता की एक बहुत बड़ी मिसाल है जो लोगों की रक्षा करती है क्योंकि जब भी भारत वर्ष पर संकट आया है भारतीय सेना कभी पीछे नहीं हटी है.
सेना आज ना सिर्फ हमारी रक्षा के लिए सीमाओं पर प्रहरी का किरदार निभाती है बल्कि यही सेना हमारे लिए आंतरिक समस्याओं में भी सहायक सिद्ध होती हैं. बाढ़ आ जाए तो सेना, आतंकियों से लड़ना हो तो सेना, सरकारी कर्मचारी हड़ताल कर दें तो सेना, पुल टूट जाए तो सेना, चुनाव कराने हों तो सेना, तीर्थ यात्राओं की सुरक्षा भी सेना के हवाले है. हमारे जवान जागते हैं तो ही हम चैन से सोते हैं.
भारतीय सेना के भेदकारी साहस व् समर्पण का गौरवशाली इतिहास बेहद विस्तृत है परन्तु आज इस विशेष दिन पर कुछ अहम् घटनाओं को रेखांकित करना अति आवश्यक है.
•जिस समय भारत आजादी का जश्न मना रहा था उसी समय पाकिस्तान ने भी भारत पर आक्रमण करने की योजना बनानी शुरू कर दी थी. 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी सेना ने भारत पर आक्रमण शुरू किया. यह युद्ध थोड़े-थोड़े अंतराल पर लगभग एक साल तक चला. इस लड़ाई की सबसे खास बात यह थी कि यह लड़ाई भारतीय थल सेना ने उन साथियों के खिलाफ लड़ी थी जिनसे कुछ साल पहले वह कंधे से कंधा मिलाकर चलते थे.
•भारत के बंटवारे के बाद हैदराबाद के निजाम ने स्वतंत्र रहने की जिद्द ठान रखी थी. इसके बाद सरदार बल्लभ भाई पटेल ने 12 सितंबर 1948 को सेना को हैदराबाद की सुरक्षा के लिए भेजा. महज पांच दिन में ही वहां के निजाम को परास्त कर दिया गया और सेना के अगुवा मेजर जनरल जयन्तो नाथ चौधरी को सैन्य शासक घोषित कर दिया गया.
•ब्रिटिश और फ्रांस द्वारा अपने सभी औपनिवेशिक अधिकारों को समाप्त करने के बाद भी भारतीय उपमहाद्वीप, गोवा, दमन और दीव में पुर्तगालियों का शासन रहा. पुर्तगालियों द्वारा बार-बार बातचीत को अस्वीकार कर देने पर सेना ने महज 26 घंटे चले युद्ध के बाद गोवा, दमन और दीव को सुरक्षित आजाद करा लिया और उनको भारत का अंग घोषित कर दिया गया.
•सन् 1962 में भारत और चीन के बीच एक युद्ध हुआ था जिसमें चीन ने भारत सीमा के अंदर तक कई चौकियों पर अपना कब्जा कर रखा था इसलिए भारतीय सैनिकों ने चीन पर हमला बोलकर उनके द्वारा कब्जा की गई चौकियों को फिर से अपने कब्जे में कर लिया था. चीन, भारत के मैकमहोन रेखा को अंतर्राष्ट्रीय सीमा मान लेने के लिए जोर डाल रहा था इसीलिए भारत और चीन के बीच संघर्ष छिड़ गया था.
•अगस्त 1965 से लेकर सितंबर 1965 तक भारत और पाकिस्तान के बीच दूसरा कश्मीर युद्ध हुआ. इस युद्ध में भारतीय सेना ने अदम्य साहस का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तानी सेना को हराया था.
•1971 का भारत पाक युद्ध कौन भूल सकता है. यह एक ऐसा युद्ध था जिसने इतिहास बदल दिया. इस युद्ध में पाकिस्तान के जनरल एएके नियाजी ने 90 हजार सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण किया था. इस आत्मसमर्पण के बाद ही पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश नाम का एक स्वतंत्र राष्ट्र बना था. भारतीय सेना का यह गौरव हमारे मस्तक का तिलक है.
•दुनिया के सबसे ऊंचे पुल का निर्माण भारतीय सेना ने किया था हिमालय पर्वत की द्रास और सुरू नदियों के बीच लद्दाख की घाटी में स्थित है भारतीय सेना ने इसका निर्माण अगस्त सन् 1982 में किया था।
•1999 में सौरभ कालिया के पेट्रोल पर हमले ने भारतीय इलाके में घुसपैठियों की मौजूदगी का पता दिया. इसके बाद भारतीय सेना ने धोखे के खिलाफ ऐसा शौर्य दिखाया कि 26 जुलाई को आखिरी चोटी पर भी फतह पा ली गई. यही दिन अब करगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है.
भारतीय सैनिक साल के 365 दिन हमारी आज़ादी को बचाने के लिए संघर्ष करते हैं इसलिए हमारा कर्तव्य है कि सेना दिवस पर हम उनकी खुशियों में शामिल हों, उनकी कुर्बानियों को याद कर, हमारे ‘सुपर हीरोज़’, हमारे ‘दिव्यपुंजों’ को सलाम दें.
जय हिन्द, जय जवान