भाषा कुदरत की बड़ी देन है. यह आपके-हमारे बीच जुड़ाव के लिये आवश्यक है पर जब बात हिंदी भाषा की हो तो हम भारतवासियों के लिये हिंदी मात्र संवाद का साधन नहीं अपितु हमारी पहचान है. यदि कहा जाए कि हिंदी ही हमारी भारत माता के माथे की बिंदी है, शोभा है तो यह किसी भी प्रकार से अतिशयोक्ति न होगा.
माँ के आँचल में जन्नत बसती है जिसकी कुछ पल की पनाह के लिये इंसान सब कुछ हारने को तैयार हो जाता है. हिंदी जो कि हमारी मातृभाषा है, इसके आँचल की छाँव के नीचे हम सभी भारतवासी पले-बढ़े व एक दूसरे से जुड़ते आएं हैं और जुड़ते रहेंगे ….हिंदी भारतवासियों की शान है ….हम भारतवासियों के अस्तित्व का अभिन्न अंग ….हमारी पहचान है हिंदी.
हर साल 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है. इसको मनाने का मुख्य उद्देश्य विश्वभर में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार को बढ़ाना है और जागरूकता फैलाना है. भारत सरकार हर वर्ष हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार एवं उत्थान हेतु करोड़ों रुपये खर्च करती है. हर सरकारी दफ्तरों, कार्यालयों में सूचना जाती है कि कर कोई अपने कार्य के दौरान अधिक से अधिक हिंदी भाषा का प्रयोग करे. परंतु यदि हिंदी साहित्यकारों, प्रूफ-रीडर्स, संपादकों आदि को छोड़ बात करें तो हिंदी भाषा को संजोने का व उसके प्रचार- प्रसार के लिये कितने प्रयास और किस प्रकार के प्रयास हो रहे हैं, यह बात किसी से भी छिपी नहीं है.
आज पाश्चात्य सभ्यता हमारी भारतीय संस्कृति के साथ-साथ हमारी मातृभाषा पर भी इतनी हावी हो गई है कि बड़े शहरों के साथ छोटे शहरों में आम बोलचाल के दौरान भी लोग हिंदी के स्थान पर अंग्रेज़ी में बात करने पर अधिक गौरव महसूस करते हैं. माँ- बाप खुद अपने बच्चों से अपेक्षा करते हैं कि उनके बच्चे फर्राटेदार अंग्रेज़ी बोलें..फिर चाहे उन्हें उनकी मातृभाषा का ‘क’, ‘ख’, ‘ग’, ‘घ’….. भी सही से मालूम न हो पर ब्रिटिश एक्सेंट की जानकारी अवश्य हो.
अंग्रेजी भाषा एक अंतरराष्ट्रीय भाषा है जिसकी अपनी उपयोगिता व महत्व है जिसे किसी भी हाल में नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता पर हम भारतवासियों का अपनी मातृभाषा हिंदी के साथ दिनों-दिन बढ़ता सौतेला बर्ताव सिर्फ और सिर्फ इस बात की ही ओर संकेत कर रहा है कि हम सभी भारतवासियों का अस्तित्व, हमारी पहचान घोर संकट में है.
हमें अपने देश की मिट्टी की सुगंध को पहचानना है, हमारी मातृभाषा के आत्म-सम्मान, प्रतिष्ठा, गौरव व शान के लिये हर एक नागरिक को जागरुक होना पड़ेगा. मात्र अंग्रेज़ी बोल कर ही आप अपनी योग्यता सिद्ध कर सकते हैं या जो हिंदी भाषा में बात या अपना काम करते हैं, वे अयोग्य कहलाये या माने जाते हैं ; इस प्रकार के बेतुके व बेबुनियादी विचारों का त्याग करना होगा. संकीर्ण मानसिकता से ऊपर उठ अपने देश, अपनी मातृभाषा के लिये कुछ करना होगा. यदि शुरुआत सोशल मीडिया से ही करें तो भी बेहतर परिणाम दृष्टिगोचर होंगे. ज्यादा नहीं तो कम से कम फेसबुक पर अपने भारतीय मित्रों से ही हिंदी भाषा में बातचीत कर अपनी मातृभाषा के प्रति अपने स्नेह को व आदर को प्रदर्शित करें …….इसके अलावा स्कूल-कॉलेजेस में आम बोलचाल में अधिक से अधिक हिंदी भाषा का प्रयोग करें ताकि आगे आने वाली पीढ़ी हिंदी विषय को भी गंभीरता से ले ……शिक्षा, मीडिया, साहित्य आदि क्षेत्रों में स्वयं को स्थापित कर अपनी मातृभाषा के गौरव और शान की रक्षा करें व इसका प्रचार- प्रसार करें ताकि हिंदी सदैव हमारी भारतमाता के माथे की बिंदी बन हर वक़्त चमकती रहे और हम सभी भारतवासियों को गौरवान्वित करती रहे.