वास्तु शास्त्र एक प्राचीन कला व विज्ञान है जिसके अंतर्गत किसी भी स्थान के उचित निर्माण से संबंधित वे सब नियम आते हैं जो मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य बैठाते हैं जिससे हमारे चारों ओर खुशियाँ, संपन्नता, सौहार्द व स्वस्थ वातावरण का निर्माण होता है।
वास्तु शास्त्र की रचना पंचतत्व अर्थात धरती, आकाश, वायु, अग्नि, जल व आठ दिशाओं के अंतर्गत होती है।
अपने घर को सही वास्तु शास्त्र के अनुसार सुनियोजित करने के लिए दिशाज्ञान यंत्र अर्थात कम्पास का प्रयोग करें ताकि घर की सही दिशाओं का ज्ञान हो सके।
बेडरूम आपका वह स्थान जहां आप अपना सबसे ज्यादा समय बिताते हैं। यह स्थान आपके शरीर और दिमाग को आराम और शांति प्रदान करता है। यहाँ वास्तु शास्त्र के अनुसार शयन कक्ष के स्थान और चीजों के रखरखाव के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं।
– मुख्य शयन कक्ष, जिसे मास्टर बेडरूम भी कहा जाता हें, घर के दक्षिण पश्चिम या उत्तर पश्चिम की ओर होना चाहिए। अगर घर में एक मकान की ऊपरी मंजिल है तो मास्टर ऊपरी मंजिल मंजिल के दक्षिण पश्चिम कोने में होना चाहिए।
– बच्चों का कमरा उत्तर–पश्चिम या पश्चिम में होना चाहिए और मेहमानों के लिए कमरा (गेस्ट बेड रूम) उत्तर पश्चिम या उत्तर–पूर्व की ओर होना चाहिए। पूर्व दिशा में बने कमरा का अविवाहित बच्चों या मेहमानों के सोने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
– उत्तर–पूर्व दिशा में देवी–देवताओं का स्थान है इसलिए इस दिशा में कोई बेडरूम नहीं होना चाहिए। उत्तर–पूर्व में बेडरूम होने से धन की हानि, काम में रुकावट और बच्चों की शादी में देरी हो सकती है।
– दक्षिण–पश्चिम का बेडरूम स्थिरता और महत्वपूर्ण मुद्दों को हिम्मत से हल करने में सहायता प्रदान करता है।
– दक्षिण–पूर्व में शयन कक्ष अनिद्रा, चिंता और वैवाहिक समस्याओं को जन्म देता है।
– उत्तर-पश्चिम दिशा वायु द्वारा शासित है और आवागमन से संबंधित है। इसे विवाह योग्य लड़किया के शयन कक्ष के लिए एक अच्छा माना गया है। यह मेहमानों के शयन कक्ष लिए भी एक अच्छा स्थान है।
– शयन कक्ष घर के मध्य भाग में नहीं होना चाहिए, घर के मध्य भाग को वास्तु में ब्रह्मस्थान कहा जाता है। यह बहुत सारी ऊर्जा को आकर्षित करता है जो कि आराम और नींद के लिए लिए बने शयन कक्ष के लिए उपयुक्त नहीं है।
– शयन कक्ष की छत ढालदार नहीं होनी चाहिए। ध्यान रखें कि कडि़या या बीम के नीचे अपना सोने का स्थान न बनायें।
– घर में सीधा प्रवेश शयन कक्ष के मुख्यद्वार से नहीं होना चाहिए। बीच में पार्टीशन या कोई जाली अवश्य होनी चाहिए।
– शयन कक्ष में ड्रेसिंग टेबल या बड़ा दर्पण सिर के सामने नहीं होना चाहिए। यदि जगह की कमी है, तो दाहिने या बांयी ओर रखना चाहिए।
– शयनकक्ष में पानी का बड़ा बर्तन या मछली घर भी रखना हितकर नहीं होता है।