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ज़िद, जुनून, प्रतिभा व संघर्ष की अनुपम मिसाल- ‘डॉ. हलीम खान’

by On The Dot
December 14, 2020
Reading Time: 1 min read
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ज़िद, जुनून, प्रतिभा व संघर्ष की अनुपम मिसाल- ‘डॉ. हलीम खान’

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Dr haleem Khan

नृत्य का इतिहास अति प्राचीन है I मोहनजोदड़ो और हड़्प्पा की खुदाई में प्राप्त नृत्य करती मूर्तियाँ इसकी प्राचीनता सिद्ध करती हैंI वेद, पुराण, रामायण, महाभारत आदि ग्रंथों में नृत्य का उल्लेख मिलता है I कौटिल्य ने तो नृत्यकार को इतना महत्व दिया है कि उसने एक स्थान पर लिखा है कि नृत्य के साधकों को राज्याश्रय मिलना चाहिये I राज्य की ओर से उनकी सब प्रकार की व्यवस्था करा देनी चाहिये जिससे कि वे नृत्य साधना ठीक प्रकार से कर सकें I

कुचिपुड़ी नृत्य, आठ भारतीय शास्त्रीय नृत्यों में से एक है I यह आंध्र प्रदेश का शास्त्रीय नृत्य है I यह संपूर्ण दक्षिण भारत में भी प्रख्यात है I कुचिपुड़ी, कृष्ण जिला के दिवी तालुका के एक गाँव का नाम है I किवदंतियों के अनुसार, सिद्धेंद्र योगी नामक एक यतीम को कुचिपुड़ी नृत्य-नाट्य परंपरा का संस्थापक माना जाता है I कुचिपुड़ी नृत्य की प्रस्तुति धार्मिक कृत्य से आरंभ होती है और फिर सभी नृत्यकार नृत्य के जरिये अपने पात्र का परिचय देते हैं I कुचिपुड़ी नृत्य के साथ कर्नाट्क संगीत का सामंजस्य दर्शकों को लुभान्वित करता है I

कुचिपुड़ी नृत्य के क्षेत्र में नर्तक ‘डॉ. हलीम खान‘ का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं I कला व कलाकार रंग, वर्ण, लिंग, जाति, धर्म आदि से ऊपर होता है व इन सभी शब्दों से परे अपनी कला के क्षेत्र में लीन रहता है I कला किसी भी रुप में हो, चाहे संगीत कला, चित्र कला या नृत्य कला, एक कलाकार अपनी कला की साधना कर, उसमें लीन होकर ईश्वर से जुड़ जाता है जिसके परिणामस्वरुप वह मानव दुनिया की संकीर्ण मानसिकता से परे अपना अतुलनीय मुकाम बनाता है I

Dr haleem Khan

Dr haleem Khan

उपरोक्त बातों का ज्वलंत उदाहरण हैं कुचिपुड़ी नर्तक ‘हलीम खान’ I आंध्र प्रदेश के ओंगोल में मुस्लिम परिवार में जन्में हलीम का रुझान बचपन से ही कुचिपुड़ी नृत्य की ओर था I मुस्लिम परिवार व पुरुष होने के कारण उन्हें कुचिपुड़ी नृत्य की विधिवत शिक्षा ग्रहण करने के उनके फैसले के लिए अपने करीबियों का कड़ा विरोध सहना पड़ाI पर कहते हैं, जहाँ चाह है, वहाँ राह है. अत: हलीम ने अपनी दैनिक दिनचर्या में विविध क्रियाकलापों को सम्मिलित कर लिया और इन्हीं विविध क्रियाकलापों के संगम के मध्य चुपचाप कुचिपुड़ी नृत्य की शिक्षा लेनी प्रारंभ की I लोगों की आपत्ति व विरोध के बावजूद हलीम न थके, न हारे बल्कि नृत्य के प्रति ये उनका समर्पण व ज़िद ही थी जिसके परिणामस्वरुप आज हलीम की प्रतिभा का परचम देश विदेश में लहरा रहा हैI कुचिपुड़ी नृतक हलीम खान की ख्याति का सूरज देश-विदेश् में चमकता-दमकता कुचिपुड़ी नृत्य के क्षेत्र में प्रकाश बिखेर रहा हैI

देवी-देवताओं की कहानी-किस्सों से प्रेरित होकर हलीम ने इन्हें कुचिपुड़ी नृत्य के जरिये जन-जन तक पहुँचाया I कुचिपुड़ी नर्तक हलीम खान कहते हैं, “जीत के लिए खुद के साथ ज़िद करनी पड़ी I मुस्लिम हूँ, किंतु देवी-देवताओं की कहानियों को मन से स्वीकारा और इन कहानियों पर सच्चे दिल से विश्वास किया I काफी मशक्कत के बाद नृत्य सीखने के लिए गुरु को मनायाI सब को यह भरोसा दिलाने में मुश्किल आई कि मुस्लिम होकर कुचिपुड़ी नृत्य सीखा है I यह बड़ी चुनौती थी I परिवार को भी एतराज़ था और उन्हें मनाना और उससे पार पाना भी बड़ी बाधा थी किंतु अब स्थिति बेहतर हैI”

एम.बी.ए डिग्री होल्डर व कुचिपुड़ी नृत्य में पारंगत हलीम 800 से भी अधिक नृत्य प्रस्तुतियों द्वारा दर्शकों का दिल जीत चुके हैं I आंध्र प्रदेश्, कर्नाटक, तमिल नाडु, महाराष्ट्र समेत पाकिस्तान व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी नृत्य कला का प्रदर्शन कर चुके हलीम स्त्री का रुप धारण कर (Female Impersonaton), अपनी अतुल्य प्रतिभा की एक अदभुत मिसाल कायम कर चुके हैं. हलीम, वे शानदार, मनमोहक व लाजवाब नर्तक हैं जो पुरुष होकर भी स्त्री के रुप में अपने नृत्य में बेमिसाल लालित्य, लावण्य व सौंदर्य का समावेश् करने में सक्षम हैं I

कुचिपुड़ी नर्तक हलीम खान के नृत्य में पाद विक्षेप, अभिनय, मुद्राएं, नेत्र संचालन, अंग संचालन आदि का उचित सामंजस्य देखते ही बनता है जो कुचिपुड़ी नृत्य के क्षेत्र में इनकी विधिवत शिक्षा ,अनुभव, ज्ञान व दक्षता को दर्शाता है I तेलुगु की आठ फिल्में कर चुके हलीम खान, अपनी सीडी के जरिये लोगों को नृत्य सीखने की प्रेरणा देते हैं I कुचिपुड़ी नृतक हलीम खान का सपना है कि कुचिपुड़ी नृत्य को दुनिया भर में नाम व पहचान दिलाएं I

ज़िद ऐसी कि पत्थर को पिघला दे , हौसला ऐसा कि सामने आते तूफ़ान को पलटा दे ………. अपनी कला के प्रति संपूर्ण निष्ठा व बेमिसाल समर्पण, नृत्य के प्रति बेपनाह दीवानगी व जुनून, कुचिपुड़ी नर्तक डॉ. हलीम खान (Kuchipudi Dancer Dr. Haleem Khan) की प्रतिभा व संघर्ष, एक मिसाल है हम सभी के लिए और खासकर उन लोगों के लिए जो हालातों के आगे घुटने टेक देते हैं I हलीम खान को प्रतिभा, शक्ति, साहस, दक्षता व समर्पण का पर्याय कहना किसी भी प्रकार से अतिशयोक्ति न होगाI

Dr haleem Khan

Tags: ArtArtistclassical danceCultureDanceDr Haleem khanFemale ImpersonatonHaleem khanIndiaIndian danceKuchipudiKuchipudi Dancer
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