कीमती धातुओं की श्रेणी में ‘सोना’ सबसे प्रख्यात इन्वेस्टमेंट (निवेश) के रुप में जाना जाता है. भारत में शुरु से ही सोने का विशेष महत्त्व रहा है. निवेश के लिहाज से लोग इसे वर्तमान समय में भी सबसे सुरक्षित और विश्वसनीय विकल्प मानते हैं. बाज़ार में निवेश के अनेकों विकल्प होने के बावजूद लोग आज भी सोने में निवेश को ही प्राथमिकता देते हैं. शेयर, मुद्रा व प्रापर्टी को लेकर निवेशकों के विचार भले ही बदलते रहें परंतु सोने में निवेश को लेकर उनके विचार में कोई बदलाव नहीं आता, चाहे दाम में जितनी भी अधिक बढोत्तरी हो जाए उनका सोने के प्रति विश्वास कायम रहता है. सोने के सिक्के (गोल्ड कॉइन), इस श्रेणी में एक बेहतरीन विकल्प हैं. विशेष अवसर या किसी पर्व, उत्सव या त्योहार में भी इन्हें उपहार के रुप में बाँटने का प्रचलन है. परंतु इनकी खरीद करते वक़्त कुछ विशेष बातों पर गौर अवश्य फरमाएं.
सोने के सिक्के (कॉइन) या बार (पट्टी) की यदि बात की जाए तो यह सोने व अन्य धातुओं के मिश्रण से तैयार किए जाते हैं ताकि इनमें मजबूती आ सके. इनमें विधमान सोने की परिष्कृतता व शुद्धता को “per mil,” या thousandths द्वारा स्पष्ट किया जाता है. उदाहरण के लिए, यदि एक सोने की सिल्ली (ingot) को 0.999 fine अर्थात परिष्कृत माना गया है तो इसका अर्थ यह होगा कि उसमें 999/1000 शुद्ध सोना है व 1/1000 अन्य धातुओं के मिश्रण हैं.
कैरेट वेट, एक पारंपरिक फ़्रैकशन बेसड सिस्टम है जो सोने की परिष्कृ्तता का द्योतक है परंतु आधुनिक विश्लेषण तकनीकों के चलते , सोने की सिल्ली व बुलियन को दशमलव (decimal) पद्धति द्वारा दर्शाया जाता है जिसके तहत 1.000 फाइननेस अर्थात परिष्कृ्तता, शुद्ध सोने की द्योतक है. हालांकि शत् प्रतिशत शुद्ध सोना अत्यधिक लचीला होने के कारणवश, इसे सिक्के या सिल्ली के रुप में उपयोग में नहीं लाया जा सकता. अत: विश्वस्तर पर 0.999 या इससे अधिक परिष्कृ्त सोने को 24 कैरेट सोने की संज्ञा दी गई है.
कैरेट व फाइननेस (परिष्कृतता) के बीच सह- संबंधता:
24 karats = .999 fine or above
23 karats = .958 fine
22 karats = .917 fine (the UK gold coin standard)
21 karats = .875 fine
20 karats = .833 fine
18 karats = .750 fine
16 karats = .667 fine
14 karats = .583 fine
10 karats = .417 fine
फाइननेस अर्थात परिष्कृतता को प्राय: प्रतिशत के रुप में परिवर्तित कर दिया जाता है. उदाहरण के लिए यदि किसी सोने के सिक्के की परिष्कृतता 0.900 है, तो इसका अर्थ है कि वह 90.0% शुद्ध सोना है. यदि किसी सोने के सिक्के की परिष्कृतता 0.850 है तो इसका अर्थ है कि वह 85.0% शुद्ध सोने से लैस है.
यदि कॉइन ग्रेडिंग की बात करे तो प्रारंभिक समय में इसके लिए तीन साधारण शब्दों का प्रयोग किया जाता था: गुड, फाइन एवं अनसरक्यूलेटेड. परंतु 19वीं शताब्दी के अंत व 20 वीं शताब्दी की प्रारंभ तक एक ठोस कॉइन ग्रेडिंग की आवश्यकता हुई. इसी संदर्भ में 1987 में नूमिज़मैटिक गारंटी कॉर्परेशन (Numismatic Guaranty Corporation) की स्थापना हुई.
भारत में निवेशक सोने में निवेश करने के लिए आभूषण, गिन्नी, बिस्किट और गोल्ड बार जैसे पारंपरिक तरीकों को अपनाते आ ही रहे हैं , वहीं आधुनिक तकनीक के इस युग में कई ऐसे निवेशक भी हैं जो सोने में निवेश करने के लिए गोल्ड म्यूचुअल फंड, गोल्ड ईटीएफ और ई- गोल्ड जैसे आधुनिक तरीकों पर भी गौर फरमा रहे हैं. निवेश के ये विभिन्न तरीके पारंपरिक तरीकों से काफी लाभदायक हैं क्योंकि पारंपरिक माध्यम से किए गए निवेश को बेचते समय कई तरह के शुल्क काटे जाते हैं जबकि आधुनिक तरीके कई प्रकार के लाभ निवेशकों को प्रदान करते हैं.
इसी संदर्भ में यदि गोल्ड म्यूचुअल फंड की बात करें तो इनके द्वारा, आप सोने के खनन में लगी कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश कर सकते हैं. इसका एक फायदा यह है कि गोल्ड म्यूचुअल फंड के जरिये निवेशकों को सिस्ट्मैटिक इनवेस्ट्मैंट प्लान (सिप) का विकल्प मिलता है जिसमें निवेशक अपनी क्षमता से इसमे निवेश कर सकता है. सिप के द्वारा निवेश को कम या ज्यादा किया जा सकता है. आप इसके जरिये 500 रुपए जैसी छोटी रकम् भी इसमें लगा सकते हैं. इसके लिए निवेशकों का बैंक डीमैट खाता होना चाहिये. गोल्ड म्यूचुअल फंड उन निवेशकों के लिए निवेश का बेहतर जरिया बनता जा रहा है जो बाज़ार में बड़े खेल नहीं खेलना चाहते और हाई-रिस्क से बचना चाहते हैं.
अन्य विकल्प के रुप में देखा जाए तो गोल्ड ईटीएफ या गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड सोने में निवेश का एक जरिया है. आप अपने डीमैट एकाउंट के जरिये 0.5 ग्राम सोने की खरीदारी कर सकते हैं. यह एक यूनिट फंड है और इसमें सोने की शुद्धता का पूरा आश्वासन दिया जाता है. गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको सोने के रख-रखाव, बीमा और सुरक्षा की चिंता नहीं करनी होती है. इसमें ब्रोकरेज शुल्क को छोड़कर किसी भी तरह का एंट्री और एक्सिट शुल्क नहीं लगता.
इसके अतिरिक्त ई-गोल्ड भी आधुनिक समय में निवेश का एक बेहतरीन विकल्प है. माँग को देखते हुए निवेशक सोने में इलेक्ट्रॉनिक रुप से भी निवेश कर सकते हैं. इसमे निवेशकों को अपने पेपर गोल्ड को वास्तविक गोल्ड में तब्दील करने का मौका मिल जाता है. निवेशकों के लिए इसमें एक फायदा यह है कि सोने की खरीद-बिक्री बड़े ही पारदर्शी तरीके से की जा सकती है. ईटीएफ की तुलना में ई-गोल्ड में चीज़ें काफी साफ हैं. निवेशक अपनी मर्ज़ी से सोने की खरीद व बिक्री कर सकते हैं. यहाँ कोई प्रबंधन शुल्क नहीं है जबकि कर के नियम भी छोटी व लंबी अवधि के लिए अलग-अलग हैं. इसके अतिरिक्त यहाँ निवेशकों की और से निर्णय लेने के लिए कोई थर्ड पार्टी मौजूद नहीं होती है. ई-गोल्ड की ट्रेडिंग तकरीबन दिन में 14 घंटे की जा सकती है जबकि बाज़ार में ईटीएफ की ट्रेडिंग सात घंटे से कम ही होती है. आभूषण, गिन्नी और गोल्ड बार जैसे पारंपरिक माध्यमों के साथ-साथ सोने में निवेश का पेपर फॉरमेट लोगों को काफी लुभा रहा है. महंगाई होने के बावजूद निवेशक इसमें निवेश करके काफी मुनाफा कमा रहे हैं.