कार्यस्थल पर विषाक्त वातावरण लोगों को बीमार बनाता है, परियोजनाओं को विफल करता है , और ईमानदार कर्मचारियों को नौकरी छोड़ने पर बाध्य करता है।
‘संस्कृति’, नज़रिए से अधिक महत्वपूर्ण है । अनुभवी व कुशल लोगों के पास अपने आस-पास के वातावरण को समझने हेतु एक अलग नज़रिया होता है | कभी–कभी अज्ञानतावश उनका नज़रिया एक ऐसी विषाक्त कार्य संस्कृति की उत्पत्ति करता है जिसके परिणाम भी बेहद विषाक्त साबित होते हैं |
कार्यस्थल पर विषाक्त वातावरण के संकेत:
1) अनादर और विघटन
2) दीर्घकालिक रणनीति के आधार पर अल्पकालिक परिणाम प्राप्त करने के लिए अनुचित दबाव
3) असमानता, अनुचितता, पक्षपात, अन्याय
4) किसी भी तरह का उत्पीड़न और धमकाना
5) सहानुभूति, समर्थन, सराहना की कमी
6) अत्यधिक नियंत्रण जिसे ‘माइक्रोमैनेजमेंट’ के रूप में जाना जाता है
7) नैतिक रूप से संदिग्ध वातावरण, अखंडता की कमी, बेईमानी को प्रोत्साहित करना
यदि कार्यस्थल पर इस प्रकार का माहौल है तो इस बात से तनिक भी फर्क नहीं पड़ता कि सफल होने के लिए आपकी रणनीति या नज़रिया कितना महान है बल्कि ऐसे विषाक्त वातावरण में किसी भी उच्च रणनीति या सकारात्मक नज़रिए को कभी भी निष्पादित नहीं किया जा सकता|
जो मालिक अपनी संस्था में कर्मचारी की तरह काम करता है और जो कर्मचारी अपनी संस्था में मालिक की तरह काम करता है, उस संस्था की उन्नति कभी अवरुद्ध नहीं होती | इस बात का अर्थ वही समझ सकता है जिसमें असल मायनों में नेतृत्व क्षमता विद्यमान हो | और जो इस तथ्य को आत्मसात कर सकते हैं, वे ही विषाक्त कार्य संस्कृतियों को ठीक कर सकते हैं |
विषाक्त कार्य संस्कृति का मसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि समझदार व्यक्ति जानते हैं कि विषाक्त कार्य संस्कृति आपकी बेहतरीन से भी बेहतरीन रणनीति व सोच को ऐसे निगल सकती है जैसे आप अपने नाश्ते को | और शायद यही कारण है कि लोग अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा नहीं देते, वे विषाक्त कार्य संस्कृति को इस्तीफ़ा देते हैं |
अपने कार्यस्थल की उन्नति व सफलता के लिए आपको अपने अधीनस्थों को सशक्त करना होगा, उन्हें सुनना होगा, जानना होगा, सराहना करनी होगी, चुनौती देनी होगी, प्रत्येक कार्य में खुद को भी शामिल करना होगा, समर्थन देना होगा, संरक्षक बनाना होगा । कड़ी मेहनत और अच्छी तरह से किए गए काम, ईमानदारी, निष्ठा, प्रतिबद्धता और समर्पण को महत्व देना होगा और बीमार मानसिकता, घटिया कार्यस्थल राजनीति, तुच्छ विचारधारा, पक्षपात, ओछापन, अभद्रता, अज्ञानता का खंडन करना होगा | और सबसे अधिक महत्वपूर्ण, स्वयं अनुशासित रहना होगा | यदि आप दुनिया पर शासन करने का ख़्वाब देखते हैं या अपने उत्पाद का परचम विश्व पटल पर लहराने चाहते हैं तो पहले आपको खुद पर शासन करना सीखना होगा |