नृत्य मन के उल्लास को प्रकट करने का एक सहज, स्वाभाविक और उत्कृ्ष्ट साधन है I बच्चा जब प्रसन्न होता है तो वह स्वत: हाथ पैर इधर-उधर हिलाकर नाचने लगता है और वह प्रसन्न उस समय होता है जब उसे अपने मन की वस्तु प्राप्त हो जाती है I अत: यह कहना किसी भी प्रकार से अतिशयोक्ति न होगा कि आनंद की अभिव्यक्ति नृत्य को जन्म देती है I ध्यान रहे कि केवल हाथ-पाँव चलाने को नृत्य कला नहीं कहते I उसे सुंदरता और नियमबद्ध तरीके से करने पर ही नृत्य कला का रुप लेता है और जब नृत्य के साथ गायन-वादन दोनों होता है तो नृत्य का सौंदर्य बढ़ जाता है I आठ विभिन्न शास्त्रीय नृत्यों में कथक नृ्त्य को महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है I कथक नृत्य उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब आदि प्रांतों में प्रचलित है I यह उत्तर प्रदेश का शास्त्रीय नृत्य है I कथक शब्द की उत्पत्ति कथा से हुई और ‘कथनं करोति कथक:’ अर्थात जो कथन करता है वह कथक है I वैसे तो अन्य नृत्यों में भी कथानक होते हैं किंतु कथक नृत्य में कथा प्रधान है, इसलिए इसे कथक की संज्ञा दी गई है I इस नृत्य में तबला-पखावज से संगति की जाती है I नर्तक तैयारी के साथ पैरों की गति से तबला-पखावज के बोलों को निकालते हैं I इसमें अधिकतर परंपरागत कृष्ण चरित्र का चित्रण किया जाता हैI
आज के समय में कथक नृत्य के क्षेत्र में नृत्यांगनाओं का बड़ा वर्चस्व है I नई प्रतिभाओं के साथ नृत्य विद्या का यह विस्तार सुखद है I इस कड़ी में नृत्यांगना ‘ऋचा जैन’ का नाम कथक नृत्य के क्षेत्र में किसी पहचान का मोहताज नहीं I
लावण्य, सौंदर्य और बेमिसाल प्रतिभा का दूसरा नाम ऋचा जैन को कहना अनुपयुक्त न होगा I कथक परिवार में जन्मीं ऋचा जैन को यह कला अपने माता-पिता से विरासत में मिली है I ऋचा जैन ने कथक नृत्य के क्षेत्र में अपनी औपचारिक शिक्षा मात्र तीन वर्ष की आयु से पिता श्री रवि जैन जी व माँ श्रीमती नलिनी जैन जी के मार्गदर्शन में आरम्भ की I माँ नलिनी जैन व पिता पंड़ित रवि जैन जयपुर एवं लखनऊ घराने की नृत्य शैली के स्थापित कलाकार थे I अत: इनके नृत्य में जयपुर और लखनऊ दोनों घरानों की खूबियाँ सम्मिलित हैं जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने में सक्षम हैं I कथक नृत्य के हर पहलुओं व पक्षों पर कड़ी पकड़ व विशिष्ट्ता रखने वाली ऋचा जैन का नृत्य अत्यंत मनमोहक व सौंदर्यपरक है I ऋचा जैन के नृत्य कौशल की तारीफ़ करना सूर्य को दिया दिखाने समान लगता है I
भगवान कृष्ण की लीलाओं से जुड़े कई कथा-प्रसंगों का कथक जैसे जटिल नृत्य के साथ संरचना, लाजवाब व प्रशंसनीय है I तबले की तालों पर इनके पाँव की थिरकती गतियाँ, भावाभिव्यक्ति, अंग संचालन और लयकारी की संगत देखते ही बनती है I
कथक नृत्य के अतिरिक्त ऋचा जैन ने पंडि़त अजीत कुमार मिश्रा और ए महेश्वर राव से शास्त्रीय संगीत की विधिवत शिक्षा ग्रहण की I ऋचा जैन नृत्य करने के साथ बंदिशों व गीतों को गाती भी हैं जिसके फलस्वरुप इनकी प्रत्येक प्रस्तुति प्रभावशाली व भेदकारी बन पड़ती है I
बात चाहे चक्करदार तिहाई में चक्करों के प्रयोग की हो या जयपुर घराने के थाट, आमद, तोड़े, टुकड़े व तत्कार को तीन ताल में पेश करना हो या एक परन के द्वारा 6 मात्रा में 16 मात्रा के तीन ताल के जटिल अंदाज़ को दर्शाना हो, ऋचा जैन की नृत्य कला लाजवाब, बेमिसाल एवं अत्यंत रोचक सिद्ध होती है और इनका हर अंदाज़ अत्यंत मोहक व आकर्षक होता है I
ऋचा जैन राणा चूड़ावत और रानी हाड़ा की जीवन गाथा को कथा वाचन शैली में पेश कर दर्शकों की प्रशंसा बटोर चुकी हैं I देश की संस्कृति, परंपरा व शास्त्रीय नृत्य एवं संगीत को सहेजने की दिशा में कथक नृत्यांगना ऋचा जैन कहती हैं कि अपनी संस्कृति को आने वाली पीढ़ी के लिए सहेज कर रखना तभी संभंव है जब उसे रुचिकर तरीके से नई पीढ़ी तक पहुँचाया जाए I नई पीढ़ी को देश की परंपरा और संस्कृति से रुबरु कराने के लिए उनके साथ समय बिताना होगा I अभिभावकों को चाहिये कि वे बच्चों को हमारी संस्कृति से जुड़ी प्रदर्शनी या धरोहर दिखाएंI इस तरह छोटे-छोटे तरीकों से बच्चों को देश की परंपरा से रुबरु करा सकते हैं I वाट्सएप, फेसबुक पर बच्चों संग जुड़ें तो उन्हें इंटरनेट से शास्त्रीय नृत्य-संगीत की जानकारी लेकर साझा करने को कहें I
कथक नृत्यांगना ऋचा जैन दूरदर्शन, आल इंडिया रेडियो के साथ ही आई सी सी आर की कलाकार भी हैं I ये 2008 से ही देश के विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों और कार्यक्रम में अपने हुनर का प्रदर्शन कर रही हैं I इन्हें 2009 में सुर-श्रृंगार समसद मुंबई द्वारा ‘श्रृंगार मणि’ से सम्मानित किया गया I ऋचा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से वाणिज्य विषय में परास्नातक की उपाधि प्राप्त की है I
इनके राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सॉजर्न (sojourns) के अंतर्गत यूक्रेन यूनिवर्सिटी, शिकागो यूनिवर्सिटी, नेशनल आर्ट सेण्टर, ओटावा, श्रृंगेरी फाउंडेशन, टोरंटो, कनाडा, अफ्रीका आदि शामिल हैंI