माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है | बसंत पंचमी त्यौहार बसंत ऋतु के आगमन का सूचक है | बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है क्योकि कड़ाके की ठण्ड के बाद अब मौसम सुहावना लगने लगता है, सूर्य का ताप और वातावरण की ठंडक से चारों ओर हरियाली और नई कोपलें आ जाती हैं | बसंत का खुशनुमा मौसम सबके हृदय को भाता है और जीवन को एक नए हर्षोउल्लास से भर देता है | श्री कृष्ण ने गीता में भी कहा है की “मैं ऋतुओं में बसंत हूँ |”
बसंत पंचमी को सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाता है और इसे ज्ञान और कला की देवी सरस्वती जी के प्रकटोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है | पौराणिक मान्यताओं अनुसार ब्रह्माजी ने इस सृष्टि का सर्जन किया किन्तु संसार किसी भी प्रकार की वाणी के बिना सम्पूर्णता के भाव से परे था | ब्रह्माजी इतनी भव्य और सुन्दर सृष्टि का सृजन कर भी प्रसन्न नहीं थे | ब्रह्माजी ने इस व्यथा के निवारण के लिए विष्णु भगवान का जाप किया | श्री हरी तुरंत की प्रकट हुए और ब्रह्माजी ने श्री हरी को अपनी समस्या बतलाई | श्री हरी ने माता आदिशक्ति का आव्हन किया और उनसे सृष्टि में सम्पूर्णता लाने के लिए प्रार्थना की | तब माता के शरीर से एक तेज सफ़ेद प्रकाश उत्पन्न हुआ और उसमें से सफ़ेद वस्त्र धारण किये हुए, एक हाथ वर मुद्रा में , एक हाथ में वीणा, एक हाथ में पुस्तक और एक हाथ में कमंडल लिए हुए चतुर्भुजी देवी सरस्वती प्रकट हुई | माता आदिशक्ति ने बताया की ये ब्रह्माजी की पत्नी होंगी और सृष्टि में पूर्णता लाने ले लिए सदैव ब्रह्मा जी की मदद करेंगी |
माता सरस्वती ने अपनी वीणा के स्वर से संसार को प्रसन्नता से भर दिया | देवी सरस्वती बुद्धि, ज्ञान, मेधा और कला की प्रदाता है | वह रचनात्मक ऊर्जा और कला का प्रतीक है | संगीत के सर्वप्रथम सुर इन्होंने ही दिए इसीलिए इन्हे संगीत की देवी भी कहा जाता हैं | वीणावादिनी, शारदा, वाग्देवी भी देवी सरस्वती के ही नाम हैं | यह कमल पर विराजित होती हैं और वाग या हंस इनका वाहन है | ” ऐं ” माता सरस्वती का बीज मंत्र है और इसके उच्चारण से बुद्धि का विकास होता है। भगवान कृष्ण ने सर्वप्रथम माँ सरस्वती पूजन किया और तब से संपूर्ण संसार द्वारा हर युग में माता की पूजा होने लगी |
एक और पौराणिक कथा के अनुसार दण्ड़कारण्य वन में भगवान राम को आगमन इसी दिन हुआ था | भक्ति और प्रेम में माता शबरी ने इसी दिन मीठे बेर चख-चखकर भगवान राम को खिलाये थे | उस स्थान पर आज भी एक पत्थर है जिसके बारे में मान्यता है श्री राम उसपर बैठे थे | वहां के लोग उस शिला को आज भी पूजते है और बसंत पंचमी के दिन वहां विशेष पूजा की जाती है |
एक किंवदंती के अनुसार इसी दिन ऋषि द्रष्टा के आग्रह पर प्रेम के देवता कामदेव ने देवी पार्वती की सहायता हेतु ध्यान में मग्न भगवान शिव को अपने धनुष से तीर मारा था जिससे भगवान अपने ध्यान से बाहर आकर माता पार्वती की तपस्या और प्रेम पर ध्यान दें | इससे देवी पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ, जिसमें संसार का कल्याण निहित था |
भारत कृषि प्रधान देश है और हमारे कई त्योहारों का मूल हमारी फसल से जुड़ा होता है | उत्तर भारत में बसंत पंचमी पर सरसों की फसल पर फूल आ जाता है और हर तरफ पीले फूलों की छटा से संसार और भी खूबसूरत लगने लगता है | आम के पेड़ो पर बौर लगने लगते है | अन्य फलों के वृक्षों पर भी फूल उगने लगते हैं | प्रकृति की सबसे खूबसूरत रचना, फूलों की देखकर सभी का मन प्रसन्नता से भर जाता है | किसानों के लिए फसल पर फूलों का आना भगवान का आर्शीवाद है | इसीलिए इस दिन सृष्टि के पालनकर्ता श्री विष्णु की पूजा की जाती है | प्रकृति रूपी देवी पार्वती और भगवान शिव की अर्चना की जाती है | इस दिन बसंत के प्रतीक पीले रंग का बहुत महत्त्व है | पीला रंग पहना जाता है, पीले रंग के फूल भगवान को चढ़ाये जाते हैं हैं, पीले ही रंग के मिष्ठान बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है |
यह दिन एक बुझ साया है अर्थात किसी भी शुभ कार्य के लिए पंचांग से महूर्त नहीं देखना पड़ता | शादी, गृह प्रवेश, व्यापार प्रारम्भ आदि के लिए यह श्रेष्ठ दिन माना जाता है किन्तु बालकों के शिक्षा प्रारम्भ के लिए यह सर्वोत्तम है | यह माता सरस्वती का जन्मदिवस है और इस दिन माता सरस्वती का पूजन कर शिक्षा प्रारम्भ संस्कार करने से उनकी अनुकम्पा सदैव बनी रहती है | भारत में कई परिवारों में माता सरस्वती के आराधना उपरान्त इस दिन छोटे बच्चों को अपनी उंगलियों से उनका पहला शब्द बनवाते हैं | देवी सरस्वती के पूजन के लिए भी यह सबसे शुभ दिन है | बसंत पचमी के दिन सफ़ेद या पीले कपड़े पहनकर देवी सरस्वती के पूजन का विधान है | माता को सफ़ेद वस्त्र, सफ़ेद पुष्प और सफ़ेद मिष्ठान अर्पित किये जाते है | माता सरस्वती की आराधना के लिए विद्या मंदिरों में इस दिन विशेष आयोजन किये जाते हैं | ऐसा करने से संसार में ज्ञान के प्रकाश का संचार होता है और अज्ञानता के अन्धकार से मुक्ति मिलती है |