सृष्टि के रचयिता को प्रणाम,
आप ने जो परसो करा वो सही नहीं था। ताई को आप बचा सकते थे। पिछले महीने गैलेक्सी हॉस्पिटल गया दूसरी बार मिल लूं पर नहीं मिलने दिया ….. जी हाँ! आप ने। तक़रीबन डेढ़ महीने से रिक्वेस्ट कर रहा था, ताई को बचालो ……
प्लीज़ अब समझाइयेगा नहीं, लड़ाई हो जाएगी। वैसे क्यों नहीं लड़ूँ आप मेरी कौन सी बात सुन रहे है।
ताई को आप ने कभी सुख नहीं दिया। चौथी क्लास में स्कूल छोड़ना पड़ा। मात्र 10 साल की उम्र में 20 साल के व्यक्ति से शादी करवा दी। पिशाचर पति ने 9वें महीने में पेट में लात मारी और उन्हें घर से निकाल दिया। इसके बाद उन्होंने बेहोशी की हालत में गायों के बीच एक बेटी को जन्म दिया फिर अपने हाथ से नाल भी काटी। बेघर होने के चलते उन्हें बेटी को स्टेशन पर छोड़ना पड़ता था, इन सब बातों ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया, पर ताई टूटी नहीं । पेट भरने के लिए ट्रेन में भीख भी मांगी। कभी-कभी शमशान घाट में चिता की रोटी भी खाई। यह सब आप ने कैसे करवाया वो छोड़िये आप का हृदय क्यों नहीं पसीजा?
अच्छे से याद है जब ताई को पहली और अंतिम बार मिला था….. मैने कहा ईश्वर ने सही नहीं करा आप के साथ तो मुस्करा के कहा ना देवा ने ही प्रेरणा और हिम्मत दी। ताई को आप ने इतनी यातनाएं दी, उसके बाद भी उन्होंने आप को सारा श्रेय दिया। ऐसी हैं हमारी ताई, जी हाँ! “हैं” और सदा रहेंगी और प्रेरणा देती रहेंगी ……. आप मन से कैसे निकालेंगे और मैं, अकेला नहीं हूँ ताई के तक़रीबन 1500 बच्चे, 150 से ज्यादा बहुएं और 300 से ज्यादा दामाद हैं। ताई का कुटुंब और बढ़ेगा व समृद्ध होगा……
अंत में फिर कहूंगा, गलत करा!
🙁
आदित्य तिक्कू