हिन्दू पंचांग का अंतिम महीना फाल्गुन है। इस माह की पूर्णिमा फाल्गुनी नक्षत्र में होने के कारण इस माह का नाम फाल्गुन है। यह माह अध्यात्म के साथ उत्सव का भी है। चंद्रमा का जन्म भी फाल्गुन मास में ही माना गया है। इस माह चंद्रदेव की उपासना से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि प्राप्त होती है। इस माह चंद्रदेव के साथ, भगवान शिव, भगवान श्रीकृष्ण की उपासना विशेष फलदायी है। इस माह के पश्चात हिन्दू नववर्ष का आरंभ होता है। इस माह को बसंत ऋतु का महीना भी कहा जाता है।
फाल्गुन माह में मां लक्ष्मी और माता सीता की पूजा का विधान है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जानकी जयंती और सीता अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। संतान की इच्छा रखने वालों को इस माह बाल कृष्ण की आराधना करनी चाहिए। सुख-समृद्धि चाहने वालों को राधा-कृष्ण और ज्ञान की इच्छा रखने वालों को योगेश्वर जगदगुरु भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करनी चाहिए। इस माह ठंडे जल से स्नान करना चाहिए। इस माह नियमित रूप से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए। उन्हें सुगंधित पुष्प अर्पित करें। फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की आराधना की जाती है। फाल्गुन कृष्ण पक्ष एकादशी को विजया एकादशी नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान भोलेनाथ की आराधना का महापर्व महाशिवरात्रि मनाया जाता है। फाल्गुनी अमावस्या का भी विशेष महत्व है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वितीया को फुलैरा दूज मनाई जाती है। इस दिन राधे श्याम की आराधना की जाती है। फाल्गुन शुक्ल एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है। सुख समृद्धि व मोक्ष की कामना के लिए इस दिन उपवास कर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। फाल्गुन पूर्णिमा को होली का त्योहार मनाया जाता है।
इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।