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ईमानदारी का एक दीया

By| Aditya Tikku (आदित्य तिक्कू)

by On The Dot
November 4, 2021
Reading Time: 1 min read
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ईमानदारी का एक दीया

शादी शादी बोल बोल के शादी करवा दी। ऐसा हो रहा था जैसे मै शादी नहीं करती तो कयामत आ जाती। यार कोई मैं दुनिया की पहली लड़की तो होती नही बस सात फेरे लेलो और जि़न्दगी भर सर फोड़ते रहो।

शान्त गुडिया

क्या शान्त जि़न्दगी तो मेरी बरबाद हो गयी आप लोगों के चक्कर में, मै बता रही हूं अब मैं उस भिखारी को और नहीं झेल सकती। मुझे डाईवोर्स चाहिए एट एनी कॉस्ट।

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हां गुडिया हम डाईवोर्स लेंगे।

हद कर रही हो समझा नही सकती तो घर तो मत तोड़ो बेटी का।

ओह पापा प्लीज आप मेरे मामले मे चुप ह़ी रही ये वो घर नही जेल है।

गुडिया इनके मुह मत लग इन्होने आज तक कभी हम लोगो का भला सोचा है? वर्मा की बेटी होती तो अभी तक वकील भी करवा लिया होता और वो आर्य की बेटी के लिए पुलिस स्टेशन तुम ही गए थे। दुनिया वालों के लिए महान बना और घर के लोगों की परवाह नहीं…. ऐसा आदमी मिला है।

क्या बकवास है, आर्यजी की बेटी की बात अलग थी उसकी सास ने उसे मारने की कोशिश की थी इसलिए उनके संग खड़ा हुआ था और यहाँ ये हवा में लड़ के आई है।

अच्छा मतलब मेरी गुडिय़ा जब तक उन जाहिलों से पिट न जाये, जब तक उसकी चालाक सास उसे जलाये नहीं तब तक आप हाथ पर हाथ रखे टीवी देखते रहेंगे। एक अच्छे पति तो कभी बने नही, एक अच्छे बाप तो बन जाओ।

अरे तुम शहीद होना बंद करो अपनी लड़ाई बाद में सुलझा लेंगे।

तुम से बात कर कौन रहा है, मैंने जो नरक भोगा है वो मैं अपनी बेटी को नहीं भोगने दूंगी, मै इसे भी अपनी तरह संस्कारों की भेंट नहीं चढऩे दूंगी। अब नारी अबला नहीं रही है। गुडिय़ा मैं तुझे डाईवोर्स दिलवाउंगी चाहे मुझे इस इन्सान के खिलाफ खड़ा होना पड़े।

थैंक्स, लव यू आपने मेरे लिए कभी मना नहीं किया ।

माँ हूं कोई ज़ालिम सास नहीं।

पागलपन छोड़ो वो सिल्क का सूट नही मांग रही। अपने पति से तलाक मांग रही है।

मांगे मेरी जूती से मुँह पर मारूंगी, बहुत मांग लिया उस भिखारी से। कुछ भी मांगलो न न न के अलावा कोई लफ़्ज़ नहीं निकला कभी। हर समय अभी नहीं बाद में पता नहीं उसका बाद कब आता मेरे मरने के बाद।

तुम्हें नहीं पता उसकी कितनी सेलरी है जो बच्चों की तरह कुछ भी कभी भी डिमांड करती रहती हो, क्या वो कहीं गलत जगह खर्च करता है?

वो करे या नहीं करे पर इतना तो दे कि घर चला सकूं। हर छोटी सी छोटी चीज के लिए मन को मारती रहूं।

मन को मारो नहीं। मन को समझाओ और काल्पनिक दुनिया से बहार आओ।

आप बस बाहर वाले का पक्ष लीजिये मै चाहे मर जाऊं।

मुझसे फिल्मी बातें तो करना मत, किसी का पक्ष नहीं ले रहा हूं बस बात समझाने की कोशिश कर रहा हूं। महंगाई हर क्षण बढ़ रही है घोटाले बीमारी से ज्यादा तेज़ी से फैल रहे हैं। इस समय तुम्हारा फर्ज है उस के साथ खड़ी रहो न की उस के सामने।

सब ऐश से रह रहे हैं हमारे अलावा।

गुडिय़ा कौन ऐश से जी रहा है? लगभग 80 करोड़ तो 2 वक्त की रोटी जुटा नही पा रहे हैं। और सरकार द्वारा उन्हें मध्य वर्ग का साबित करने के लिए कभी 25 तो कभी 35 कमाने वाले को मध्यवर्ग का घोषित कर दिया जाता है। आम आदमी सुन कर चुप हो जाता है क्योंकि अब वो भी जानता है नेताओं की घोषणा और वास्तविक जीवन में अंतर है।

गुडिय़ा इनसे बहस मत कर ये आदमी तो बेतुके तर्क देता रहता है। अगर कमा नहीं सकता था तो शादी ही क्यों की?

रोज 16-16 घंटे तुम काम नही करती हो वो ही करता है ।

ऐसे काम का क्या फायदा जिससे घर भी न चल सके।

तो क्या डाका डाले ?

डाका नहीं डाले कम से कम एनजीओ खोल के अपाहिजों की बैसाखी तो छीन सकता है, बीमारो की दवाइयों में तो कमीशन खा सकता है। युवराज के जीजा को देखो कितनी जल्दी बिना इन्वेस्टमेंट के करोड़पति बन गया।

हे राम!

कौन  राम…?

पुरुषोत्तम राम जिनके वनवास से लोटने के बाद से दिवाली मनाई जाती है …

टिंग टिंग टिंग

पड़ोसी आ गये लगता है, दरवाज़ा खोलने दो

नमस्कार अंकल

नमस्कार बेटा

हम दिए लाये हैं इससे अंधकार मिटेगा और सतयुग का प्रकाश विद्यमान होगा….आप लेंगे ?

जरूर लूंगा 38 दे दो हमारे घर और देश को इसकी अत्यंत आवश्यकता है

ये लो गुडिय़ा दिया घर में स्थापित करना, केवल लक्ष्मीजी को ही मत बुलाना सरस्वतीजी और विनायकजी को भी बुलाना, क्योंकि घर तब तक घर रहता है जब तक उस के सदस्यों को पैसे खर्च करने की विद्या हो और उसे सम्भालने का विवेक।
इसलिए मेरी गुडिया टीवी सीरियल और दिखावे की चकाचौंध के भ्रम में फंस कर अपने घर में अँधियारा मत करो। ईमानदारी के एक दिये से घर और संसार में प्रकाश फैलता है ।

Tags: Aditya TikkudeepawaliDiwalion the dot storiesStory
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