दुनिया के सबसे खतरनाक लड़ाकू विमान माने वाले जाने वाले राफेल की दूसरी खेप भी बुधवार रात भारत पहुंच गई है। चीन से बढ़ते तनाव के दौर में इन राफेल विमानों का भारत पहुंचना काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ गई है। इससे पहले 29 जुलाई को पांच राफेल विमान भारत आए थे, जिन्हें 10 सितम्बर को अम्बाला में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ‘गोल्डन एरोज स्क्वॉड्रन’ में शामिल किया गया था। उस दौरान पांचों राफेल फ्रांस से उड़ान भरने के बाद संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में रूके थे, जहां उनमें ईंधन भरा गया था लेकिन इस बार तीन राफेल फ्रांस के इस्ट्रेस से नॉन-स्टॉप उड़ान भरने के बाद बिना कहीं रूके 7364 किलोमीटर लंबा सफर तय कर करीब आठ घंटे में सीधे गुजरात के जामनगर पहुंचे हैं। हालांकि उड़ान के ही दौरान तीन बार मिड एयर री-फ्यूलिंग हुई, जिसके लिए इन राफेल के साथ हवा में फ्यूल भरने वाला फ्रांस के एयरफोर्स का स्पेशल मिड एयर रिफ्यूलिंग जेट था।
तीन नए राफेल विमानों के आने के बाद भारत के पास अब कुल 8 राफेल हो गए हैं, जो चीन के साथ किसी भी प्रकार की विकट स्थिति उत्पन्न होने पर उस पर काल की भांति टूट पड़ने की अभूतपूर्व क्षमता रखते हैं। जनवरी 2021 में दसॉल्ट एविएशन द्वारा तीन, मार्च में तीन तथा अप्रैल माह सात और राफेल भारत को सौंप दिए जाएंगे। इस प्रकार भारत के पास अगले साल अप्रैल माह तक कुल 21 राफेल विमान हो जाएंगे, जिनके भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता में काफी बढ़ोतरी हो जाएगी और भारत का आसमान दुश्मन के लिए अभेद्य हो जाएगा। भारत का फ्रांस के साथ कुल 36 राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा है। शेष 15 राफेल भी आगामी दो वर्षों में भारतीय वायुसेना को मिल जाएंगे। नवीनतम हथियारों और सुपीरियर सेंसर से लैस राफेल को रडार क्रॉस-सेक्शन तथा इन्फ्रारेड सिग्नेचर के साथ डिजाइन किया गया है, जिनमें ग्लास कॉकपिट और एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड तथा कंट्रोल करने में मदद करता है। इस जेट में एक एडवांस्ड एवियोनिक्स सूट के अलावा लो-ऑब्जर्वेशन टारगेट को पहचानने में सक्षम आरबीई 2 एए एक्टिव इलैक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे रडार लगा है। राफेल का रडार सिस्टम इतना ताकतवर है कि यह 100 किलोमीटर के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है।
एम-88 इंजन से लैस राफेल ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ 4.5 जनरेशन का फाइटर जेट है, जो न केवल बेहद फुर्तीला है बल्कि यह परमाणु हमला करने में भी सक्षम है। इसे हवा से हवा तथा हवा से जमीन पर मिसाइल हमलों के लिए बहुआयामी भूमिकाएं निभाने के लिए भारतीय वायुसेना की जरूरतों के हिसाब से परिष्कृत किया गया है। राफेल फ्रांस की विमान निर्माता कम्पनी ‘दसॉल्ट एविएशन’ द्वारा निर्मित दो इंजन वाला अत्याधुनिक मध्यम मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) है। राफेल की टैक्नोलॉजी बेहतरीन है और इसमें कई ऐसी विशेषताएं हैं, जो इसे विश्व का बेहतरीन लड़ाकू विमान बनाने के लिए पर्याप्त हैं। यह हवाई हमला, वायु वर्चस्व, जमीनी समर्थन, भारी हमला, परमाणु प्रतिरोध इत्यादि कई प्रकार के कार्य बखूबी करने में सक्षम है। परमाणु बम गिराने की ताकत से लैस राफेल में इजरायल हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले, रडार चेतावनी रिसीवर, लो बैंड जैमर, दस घंटे की उड़ान डाटा रिकॉर्डिंग, इन्फ्रारेड खोज और ट्रैकिंग प्रणाली शामिल हैं। कई शक्तिशाली हथियारों को ले जाने में सक्षम राफेल विमान उल्का बीवीआर एयर-टू-एयर मिसाइल (बीवीआरएएएम) की अगली पीढ़ी है, जिसे एयर-टू-एयर कॉम्बैट में क्रांति लाने के लिए डिजाइन किया गया है। राफेल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें ऑक्सीजन जनरेशन सिस्टम लगा होने के कारण लिक्विड ऑक्सीजन भरने की जरूरत नहीं पड़ती।
अत्यंत घातक हथियारों से लैस राफेल यूरोपीय मिसाइल निर्माता ‘एमबीडीए’ द्वारा निर्मित दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मीटिअर मिसाइल के अलावा स्कैल्प क्रूज मिसाइल से भी लैस हैं। मीटिअर मिसाइल दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली अगली पीढ़ी की ऐसी मिसाइल है, जिसे हवाई लड़ाईयों में अत्यधिक कारगर माना जाता है। उन्नत तकनीक और परमाणु हमला करने में सक्षम राफेल का हर तरह के मिशन में उपयोग किया जा सकता है। यह हर तरह के मौसम में लंबी दूरी के खतरे को तुरंत भांप सकता है और नजदीकी लड़ाई के दौरान एक साथ कई टारगेट पर नजर रख सकता है। यह जमीनी सैन्य ठिकाने के अलावा विमानवाहक पोत से उड़ान भरने में भी सक्षम है और इसकी बड़ी खासियत यह है कि इलैक्ट्रॉनिक स्कैनिंग रडार से थ्रीडी मैपिंग कर यह रियल टाइम में दुश्मन की पोजीशन खोज लेता है। केवल 1312 फुट के बेहद छोटे रनवे से उड़ान भरने में सक्षम राफेल 36 हजार फुट से लेकर 60 हजार फुट तक उड़ान भरने में सक्षम है, जो महज एक मिनट में ही 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है। अधिकतम 2200 से 2500 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम राफेल 24500 किलोग्राम तक भार लेकर उड़ सकता है और इसकी मारक क्षमता 3700 किलोमीटर तक है।
राफेल ऊंचे इलाकों में लड़ने में भी माहिर है और इसमें एक या दो पायलट ही बैठ सकते हैं। एक बार में यह दो हजार समुद्री मील तक उड़ सकता है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार इसकी क्षमता पाकिस्तान के एफ-16 से ज्यादा है। पाकिस्तान के पास इस समय जे-17, एफ-16 और मिराज जैसे जो उच्च तकनीक वाले लड़ाकू विमान हैं, वे तकनीक के मामले में राफेल से काफी पीछे हैं। ऑप्ट्रॉनिक सिक्योर फ्रंटल इंफ्रारेड सर्च और ट्रैक सिस्टम से लैस राफेल में एमबीडीए एमआइसीए, एमबीडीए मीटिअर, एमबीडीए अपाचे जैसी कई तरह की खतरनाक मिसाइलें और गन लगी हैं, जो पलभर में ही दुश्मन को नेस्तनाबूद कर सकती हैं।
राफेल की प्रमुख विशेषताओं पर एक नजर:-
लंबाई: 15.30 मीटर
ऊंचाई: 5.30 मीटर
विंग्स: 10.90 मीटर
(अमेरिकी लड़ाकू विमान एफ-16 की तुलना में 0.79 फुट ज्यादा लंबा और 0.82 फुट ऊंचा)
हवा में मिसाइल दागने की क्षमता: 150 किलोमीटर
हवा से जमीन तक: 300 किलोमीटर
(रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार इसकी क्षमता पाकिस्तान के पास मौजूद एफ-16 से ज्यादा है)
रफ्तार: 2200 से 2500 किमी प्रति घंटा
क्षमता: 24500 किलोग्राम तक ले जाने की।
-योगेश कुमार गोयल
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार तथा सामरिक मामलों के विश्लेषक हैं)