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रंगोत्सव महासंयोग

डॉ. वत्स विक्रम आदित्य वर्मा

by On The Dot
March 17, 2022
Reading Time: 1 min read
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रंगोत्सव महासंयोग

रंगोत्सव (होली-पर्व) महासंयोग २०२२ की आप सभी को दिल से बहुत बधाई।

आकाशीय व् ज्योतिषीय गणना अनुसार, होलिका दहन के दौरान ब्रह्मांड सबसे अधिक सक्रिय होता है। यह वह समयावधि है, जिसके दौरान चंद्रमा दो महत्वपूर्ण राशियों – सिंह और कन्या राशि में होता है। साथ ही सूर्य कुंभ और मीन राशि पर स्थित रहता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। होली का त्योहार दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन रंग वाली होली खेली जाती है। होलिका दहन के समय भद्रा का साया नहीं होनी चाहिए। भद्रा के समय होलिका दहन करने से अनहोनी की आशंका रहती है।

देश के अलग-अलग क्षेत्रों में होली का त्योहार अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है. रंगोत्सव, प्राचीन समय से परम्परागत तरीके द्वारा, बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है | रगों का यह प्रमुख त्यौहार मुख्य रूप से पांच दिवस का होता है, क्रमश : –

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· पहले दिन होलिका को जलाया जाता है, जिसे होलिका दहन कहते हैं |

· दुसरे से चौथे दिन तक, लोग एक दुसरे को रंग व् अबीर-गुलाल लगते हैं, जिसे धूलिवंदन कहा जाता है |

· पांचवे दिन, (होली के पांचवे दिन को रंग पंचमी तिथि के नाम से भी जाना जाता है) इसी दिन श्री कृष्ण ने श्री राधा को रंग लगाया था |

होली से जुड़ी पौराणिक कथा

· पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर राजा था. उसने घमंड में चूर होकर खुद के ईश्वर होने का दावा किया था. इतना ही नहीं, हिरण्यकश्यप ने राज्य में ईश्वर के नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी. लेकिन हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद, ईश्वर भक्त था | वहीं, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि देव से वरदान प्राप्त था की आग में वोह कभी भस्म नही होगी|

असुर-राज हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि “प्रह्लाद” को गोद में लेकर, आग में बैठ जाए, होलिका ने अपने भाई की आज्ञा का पालन किया, लेकिन आग में बैठने पर होलिका स्वयं जल गई और प्रह्लाद बच गया और तब से ही ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में होलीका दहन किया जाने लगा |

· एक अन्य मान्यता के अनुसार होली का त्योहार राधा-कृष्ण के पावन प्रेम की याद में भी मनाया जाता है | पौराणिक कथा के अनुसार एक बार बाल-गोपाल ने माता यशोदा से पूछा था कि वो राधा की तरह गोरे क्यों नहीं हैं. इस पर यशोदा ने मजाक में कहा कि राधा के चेहरे पर रंग मलने से राधाजी का रंग भी कन्हैया की ही तरह हो जाएगा | इसके बाद कान्हा ने राधा और गोपियों के साथ रंगों से होली खेली और तभी होली का त्यौहार, रंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाने लगा |

होलिका दहन मुहर्त २०२२

इस दिन मकर राशी में त्रिग्रही योग बन रहा है, शनि, मंगल व् शुक्र की युति, कुम्भ राशी में ब्रहस्पति व् बुध ग्रह रहेंगे, वृधि योग, अमृत सिद्ध योग, सर्वाथ-सिद्ध-योग के साथ ही ध्रुव योग का निर्माण भी हो रहा है | इस शुभ-अवसर, पर बन रहें है तीन राजयोग जो देंगे आप सभी को धन, सुख-सुमर्द्धि व् यश |

होलिका दहन गुरुवार, 17 मार्च को है। इस दिन दोपहर डेढ़ बजे से पूर्णिमा लग जाएगी। पूर्णिमा की पूजा भी इसी दिन ही करनी है। होलिका दहन का मुहूर्त देर शाम 9 बजकर 20 मिनट से रात्रि 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। रंगभरी होली शुक्रवार, 18 मार्च को खेली जाएगी। शनि की साढ़ेसाती से प्रभावित चल रहे कुंभ राशि वाले चंद्रमा के अशुभ होने से होली सावधानी से ही खेलें।

होलिका दहन के दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त-

ब्रह्म मुहूर्त- 04:53 ए एम से 05:41 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 12:06 पी एम से 12:54 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:18 पी एम से 06:42 पी एम
अमृत काल- 06:07 पी एम से 07:43 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:30 पी एम से 03:18 पी एम

होलिका दहन मुहूर्त समय में जल, मौली, फूल, गुलाल तथा ढाल व खिलौनों की कम से कम चार मालाएं अलग से घर से लाकर सुरक्षित रख लेना चाहिए। इनमें से एक माला पितरों की, दूसरी हनुमान जी की, तीसरी शीतला माता की तथा चौथी अपने परिवार के नाम की होती है। कच्चे सफ़ेद सूत + लाल सूत एक साथ मिलाकर ही होलिका के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटना चाहिए। फिर लोटे का शुद्ध जल और पूजन की अन्य सभी वस्तुओं को प्रसन्नचित्त होकर एक-एक करके होलिका को समर्पित करें।

रोली, अक्षत व फूल आदि को भी पूजन में लगातार प्रयोग करें। गंध-पुष्प का प्रयोग करते हुए पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन किया जाता है। पूजन के बाद जल से अर्ध्य दें। होलिका दहन होने के बाद होलिका में कच्चे आम, नारियल, भुट्टे या सप्तधान्य, चीनी के बने खिलौने, नई फसल का कुछ भाग- गेहूं, चना, जौ भी अर्पित करें। होली की पवित्र भस्म को घर में रखें। रात में गुड़ के बने पकवान प्रसाद गणेश जी को भेंट कर खाने चाहिए।

होलिका दहन में होलिका की पूजा की जाती है।

सर्वप्रथम प्रथम पूज्य गणेश जी का स्मरण कर, जहां पूजा करनी हैं, उस स्थान पर पानी छिड़क कर शुद्ध कर लें। पूजा करते समय पूजा करने वाले व्यक्ति को होलिका के पास जाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।

विशेष : अग्नि उनके घर से ही मंगानी चाहिए जहाँ, होली के त्यौहार से कुछ दिन पहले ही संतान पैदा हुई हो.

‘चाण्डालसूतिकागेहाच्छिशुहारितवह्निना। प्राप्तायां पूर्णिमायां तु कुर्यात् तत्काष्ठदीपनम्॥’ (स्मृतिकौस्तुभ)

होलिका मंत्र- ‘असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिषै:। अतस्तवां पूजायिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव।।’ का उच्चारण करते हुए तीन परिक्रमा करें। इसी मंत्र के साथ अर्ध्य भी दे सकते हैं। ताम्बे के एक लोटे में जल, माला, रोली, चावल, गंध, फूल, कच्चा सूत, बताशे-गुड़, साबुत हल्दी, गुलाल, नारियल आदि का प्रयोग करना चाहिए। साथ में नई फसल के पके चने की बालियां व गेहूं की बालियां आदि भी सामग्री के रूप में रख लें। इसके बाद होलिका के पास गोबर से बने खिलौने रखें। संभव हो तो बच्चों को लकड़ी के अस्त्र बनवाकर दे, जिससे वे दिन भर उत्साही सैनिक बने रहें और साथियों के संग खेलकूद करते हुए हंसे।

होलिका दहन का व्रत नियम

· होलिका दहन को हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए। भद्रा मुख और राहुकाल के दौरान होलिका दहन करना शुभ नहीं माना जाता है।

· होली के दिन भोजन करते समय आपका मुंख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।

· होलिका दहन के समय महिलाओं को ध्यान रखना चाहिए कि उनका सिर खुला न हों। होलिका दहन की पूजा के समय स्त्रियों के सिर पर कोई न कोई कपड़ा जरूर होना चाहिए।

· इस दिन सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए।

· इस दिन बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए।

होलिका दहन उपाय-

होलिका दहन के दिन कुछ उपायों को करके जातक अपने जीवन में खुशियां भर सकते हैं।

· मान्यता है कि होलिकादहन करने या फिर उसके दर्शन मात्र से भी व्यक्ति को शनि-राहु-केतु के साथ नजर दोष से मुक्ति मिलती है।

· माना जाता है कि होली की भस्म का टीका लगाने से नजर दोष तथा प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है |

· धार्मिक मान्यता के अनुसार, किसी मनोकामना को पूरा करना चाहते हैं तो जलती होली में 3 गोमती चक्र हाथ में लेकर अपनी इच्छा को 21 बार मन में बोलकर तीनों गोमती चक्र को अग्नि में डालकर अग्नि को प्रणाम करके वापस आ जाएं।

· धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि कोई व्यक्ति घर में भस्म चांदी की डिब्बी में रखता है तो उसकी कई बाधाएं अपने आप ही दूर हो जाती हैं।

· अपने कार्यों में आने वाली बाधा को दूर करने के लिए आटे का चौमुखा दीपक सरसों के तेल से भरकर उसमें कुछ दाने काले तिल,एक बताशा, सिन्दूर और एक तांबे का सिक्का डालकर उसे होली की अग्नि से जलाएं। अब इस दीपक को घर के पीड़ित व्यक्ति के सिर से उतारकर किसी सुनसान चौराहे पर रखकर बगैर पीछे मुड़े वापस आकर अपने हाथ-पैर धोकर घर में प्रवेश कर लें।

रंगोत्सव(होली) पर बनने वाले शुभ-योग

इस योग में होलिका की पूजा करने से घर, परिवार में सुख शांति बनी रहती है। मान्यता है कि संतान निरोगी व दीर्घायु होती है।

इस वर्ष २०२२ रंगौत्सव (होली) के राशिनुसार उपाय-

मेष राशि  : मंगल ग्रह से संबंधित वस्तुएं जैसे लाल दाल (मसूर दाल), सौंफ और जौ का दान करें। घर से कांसे की पुरानी वस्तुओं को हटाने की सलाह दी जाती है। होली खेलने के लिए अनुकूल रंग गहरा लाल है ।

वृषभ राशि  : होलिका दहन के दिन गुरुदेव बृहस्पति से संबंधित वस्तुओं का दान करें। इसमें चना दाल, हल्दी (हल्दी) और शहद शामिल हैं। एकपुरानी किताबें दान कर सकते हैं जो वर्तमान में किसी काम की नहीं हैं। होली खेलने के लिए अनुकूल रंग सफेद है।

मिथुन राशि  : आपको शनि ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए जैसे सरसों का तेल या काले चने (उरद की दाल)। साथ ही पुराने जूतों और चमड़े की चीजों को भी घर से बाहर निकाल दें। होली खेलने के लिए अनुकूल रंग हरा है।

कर्क राशि  : आपको शनि ग्रह से संबंधित वस्तुएं जैसे चायपत्ती या लोहे का दान करें। किसी पुराने काले कपड़े या कंबल से छुटकारा पाएं। होली खेलने के लिए अनुकूल रंग सफेद है।

सिंह राशि  : गुरुदेव बृहस्पति से संबंधित वस्तुओं जैसे गाय का घी या केसर का दान करें। पुराने कपड़े या अनउपयोगी सामान को बाहर निकाल दें। होली खेलने के लिए अनुकूल रंग नारंगी या लाल रंग है।

कन्या राशि  : आपको मंगल ग्रह के उपाय करने चाहिए। खंड, केसर और तांबे या बताशे (भारतीय मिठाई) जैसी वस्तुओं का दान करें। किसी लाल कपड़े की पुरानी वस्तुओं से छुटकारा पाएं। होली खेलने के लिए अनुकूल रंग हरा है।

तुला राशि  : शुक्र से संबंधित वस्तुएं जैसे चावल के दाने, बूरा (कच्ची चीनी) या पनीर का दान करें। पुराने इत्र से छुटकारा पाएं। होली खेलने के लिए अनुकूल रंग सफेद है।

वृश्चिक राशि  : बुध ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए जैसे कपूर या हरी मिर्च। होलिका दहन के दिन पुराने समाचार पत्र या लेखन सामग्री जैसे पेन या पेंसिल जैसी चीजों का दान करना चाहिए। होली खेलने के लिए अनुकूल रंग लाल है।

धनु राशि  : होलिका दहन के दिन आपको चंद्रमा से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए जैसे दूध, चावल के दाने या सफेद मिठाई। इसके अलावा, किसी भी पुराने शंख या चंदन की लकड़ी का दान करें। होली खेलने के लिए अनुकूल रंग पीला है।

मकर राशि  : आपको सूर्य से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए। इनमें गेहूं के दाने या गुड़ शामिल हैं। इस दिन पुराने तांबे की वस्तुओं को घर से बाहर कर दें। होली खेलने के लिए शुभ रंग नीला है।

कुंभ राशि  : बुध से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए जैसे साबुत मूंग या हरे फल। पुराने खिलौनों का जो उपयोग में नहीं हैं उन्हें घर से बाहर कर दें। होली खेलने के लिए अनुकूल रंग नीला है।

मीन राशि  : आपको शुक्र से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए जैसे कपास, दही, चावल या चीनी। सफेद कपड़े जो अब किसी काम के नहीं रहे, उन्हें घर से बाहर कर दें। होली खेलने के लिए अनुकूल रंग पीला है।

होलिका दहन के दोरान अग्नि की दिशा

होलिका जलने पर जिस दिशा में धुंआ उठता है, उससे आने वाले समय का भविष्य जाना जाता है। होलिका दहन की आग सीधी ऊपर उठे तो उसे बहुत शुभ माना गया है। वहीं, दक्षिण दिशा की ओर झुकी होलिका की आग को देश में बीमारियां और दुर्घटनाओं का संकेत देने वाला माना जाता है :-

आग का ऊपर उठना शुभ
होलिका दहन के समय आग की लौ अगर सीधे हो, आसमान की तरफ उठे तो अगली होली तक सब कुछ अच्छा होता है। खासतौर से सत्ता और प्रशासनिक क्षेत्रों में बड़े सकारात्मक बदलाव होते हैं। बड़ी जन हानि या प्राकृतिक आपदा की आशंका भी कम रहती है। पूजा-पाठ और दान से परेशानियां खत्म होंगी।

पूर्व दिशा : होलिका दहन की लौ पूर्व दिशा की ओर झूके तो इसे बहुत शुभ माना गया है। इससे शिक्षा-अध्यात्म और धर्म को बढ़ावा मिलता है। रोजगार की संभावना बढ़ती है। लोगों की सेहत में सुधार होता है। मान-सम्मान में भी बढ़ता है।

पश्चिम दिशा : होली की आग पश्चिम की ओर उठे तो पशुधन को लाभ होता है। आर्थिक प्रगति होती है, लेकिन धीरे-धीरे। थोड़ी प्राकृतिक आपदाओं की आशंका भी रहती है, लेकिन कोई बड़ी हानि नहीं होती है। इस दौरान चुनौतियां बढ़ती हैं लेकिन सफलता भी मिलती है।

उत्तर दिशा : होलिका दहन के वक्त आग उत्तर दिशा की ओर होती है तो देश और समाज में सुख-शांति बढ़ती है। इस दिशा में कुबेर समेत अन्य देवताओं का वास होने से आर्थिक प्रगति होती है। चिकित्सा, शिक्षा, कृषि और व्यापार में उन्नति होती है।

दक्षिण दिशा : इस दिशा में होलिका दहन की आग का झुकना अशुभ माना गया है। दक्षिण दिशा में होलिका की लौ होने से झगड़े और विवाद बढ़ने की आशंका रहती है। युद्ध-अशांति की स्थिति भी बनती है। इस दिशा में यम का प्रभाव होने से रोग और दुर्घटना बढ़ने का अंदेशा भी रहता है।

आयुर्वेद में वाचस्पति की उपाधि से अलंकृत ज्योतिषाचार्य (भृगु संहिता-लाल किताब विशेषज्ञ), आध्यात्मिक-योग गुरु डॉ वर्मा प्राचीन भारतीय इतिहास, सनातन धर्म व् संस्कृति की गहरी व् तार्किक समझ रखते हैं. लेखक, टीवी निर्देशक, रेडियो जॉकी व् वॉइस ओवर आर्टिस्ट के रूप में कार्यानुभव व् वर्तमान में विराटगढ़ राजबाटी, कप्तिपदा, ओडिशा के श्री विराटेश्वरी शक्तिपीठ में विराट-पाट पटजोशी के पद पर आसीन हैं.

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