आदित्य तिक्कू।।
भारत के प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 76वें सत्र को संबोधित करते हुए अंतरराष्ट्रीय पटल पर भारत की विश्वसनीय भूमिका को स्पष्ट करा। भारत महामारी और आतंक से लड़ भी सकता है व विश्व को बचा भी सकता है। यह एक तरह से दुनिया को मुनादी था कि भारत के बिना विकास और शांति संभव नहीं।प्रधान सेवक ने संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की अपनी मांगों को फिर से पुरजोर तरीके से रखा । विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की ताकत का स्तवन किया तो अफगानिस्तान के नाजुक हालात को गिद्ध की निगाहों से देखने वाली खुदगर्ज ताकतों को भी नसीहत दी। आतंकवाद से अपनी रोजी रोटी चलाने वाले पाकिस्तान को चेताया। प्रधान सेवक मोदी ने समंदर को दुनिया की साझी विरासत बताते हुए चीन को भी स्पष्ट संदेश दिया। वहीं, दुनियाभर में जरूरतमंदों को वैक्सीन सुनिश्चित करने के लिए एकजुटता की अपील करते हुए ‘सेवा परमो धर्मः’ के भारतीय दर्शन की बात की।
आप का सहर लेके यूएनजीए में दिए गए भाषण की प्रमुख बात को रेखांकित करते है:-
संयुक्त राष्ट्र में सुधार- प्रधान सेवक मोदी ने कहा, संयुक्त राष्ट्र को स्वयं को प्रासंगिक बनाए रखना है, तो उसे अपनी इफेक्टिवनेस को सुधारना होगा, रिलायबिलिटी को बढ़ाना होगा। यूएन पर आज कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।
लोकतंत्र– लोकतंत्र पर प्रधान सेवक ने कहा, हमारी हजारों वर्षों की महान परंपरा रही है। इस 15 अगस्त को भारत ने अपनी आजादी के 75वें साल में प्रवेश किया है। हमारी विविधता, हमारे सशक्त लोकतंत्र की पहचान है। एक ऐसा देश जिसमें दर्जनों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अलग-अलग रहन सहन, खान-पान हैं। ये वाइब्रेंट डेमोक्रेसी का उदाहरण है। ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है कि एक छोटा बच्चा जो कभी एक रेलवे स्टेशन के टी स्टॉल पर अपने पिता की मदद करता था, वो आज चौथी बार भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर यूएनजीए को संबोधित कर रहा है।
अफगानिस्तान- प्रधान सेवक मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा, ये सुनिश्चित किया जाना बहुत जरूरी है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने और आतंकी हमलों के लिए ना हो। हमें इस बात के लिए भी सतर्क रहना होगा कि वहां की नाजुक स्थितियों का इस्तेमाल कोई देश अपने स्वार्थ के लिए एक टूल की तरह करने की कोशिश ना करे।
आतंकवाद और पाकिस्तान– प्रधान सेवक ने बिना नाम लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, प्रतिगामी सोच के साथ, जो देश आतंकवाद का राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें ये समझना होगा कि आतंकवाद, उनके लिए भी उतना ही बड़ा खतरा है।
डीएनए वैक्सीन- प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी ने कहा, मैं यूएनजीए को ये जानकारी देना चाहता हूं कि भारत ने दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन विकसित कर ली है, जिसे 12 साल से ज्यादा आयु के सभी लोगों को लगाया जा सकता है।
समुद्र की विरासत– प्रधान सेवक ने कहा, हमारे समुद्र भी हमारी साझी विरासत हैं, इसलिए हमें ये ध्यान रखना होगा कि ओशियन रिसोर्सेज को हम यूज करें अब्यूज नहीं। हमारे समुद्र अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की लाइफलाइन भी हैं। इन्हें हमें एक्सपैंशन और एक्सक्लूजन की दौड़ से बचाकर रखना होगा।
नेजल वैक्सीन- प्रधान सेवक ने कहा, भारत के वैज्ञानिक एक नेजल वैक्सीन के निर्माण में भी लगे हैं। मानवता के प्रति अपने दायित्व को समझते हुए भारत ने एक बार फिर दुनिया के जरूरतमंदों को वैक्सीन देनी शुरू कर दी है। भारत का वैक्सीन डिलीवरी प्लेटफॉर्म कोविन एक ही दिन में करोड़ों वैक्सीन डोज लगाने के लिए डिजीटल सहायता दे रहा है।मैन्युफैक्चर्स को आमंत्रण- यूएनजीए में प्रधान सेवक ने कहा, मैं आज दुनिया भर के वैक्सीन मैन्युफैक्चर्स को भी आमंत्रित करता हूं कि आइए और भारत में वैक्सीन बनाइए।
प्रदूषित पानी- उन्होंने कहा, प्रदूषित पानी, भारत ही नहीं पूरे विश्व और खासकर गरीब और विकासशील देशों की बहुत बड़ी समस्या है। भारत में इस चुनौती से निपटने के लिए हम 17 करोड़ से अधिक घरों तक, पाइप से साफ पानी पहुंचाने का बहुत बड़ा अभियान चला रहे हैं।
कोरोना महामारी- उन्होंने कहा, गत डेढ़ वर्ष से पूरा विश्व, 100 साल में आई सबसे बड़ी महामारी का सामना कर रहा है। ऐसी भयंकर महामारी में जीवन गंवाने वाले सभी लोगों को मैं श्रद्धांजलि देता हूं और उनके परिवारों के साथ अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।
प्रधान सेवक के भाषण को सुनने और पढ़ने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि हम बोलने लग गए है और दुनिया सुनने लग गयी है वह भी सम्मान के साथ। विश्व धरातल पर फिर से भारत के युग का प्रारम्भ हो रहा है। अब हमे निरन्तर संगठित होकर बढ़ना है।
जय माँ भारती !