गणेश महोत्सव की तैयारियां पूरे विश्व में आरंभ हो चुकी हैं। गणेश महोत्सव का पर्व गणेश चतुर्थी से आरंभ हो गया है। यह पर्व भारत सहित पूरे विश्व में मनाया जाता है।साल भर में पड़ने वाली चतुर्थियों में आज के दिन मनाई जाने वाली चतुर्थी को सबसे बड़ी चतुर्थी माना जाता है। आज के दिन ‘बप्पा’ के भक्त गणपति को अपने घर में लाने के लिए पूरी श्रद्धा से इंतजार करते हैं। वैसे तो साल भर में पड़ने वाली किसी भी चतुर्थी को गणपति जी का पूजन और उपासना करने से घर में संपन्नता, समृद्धि, सौभाग्य और धन का समावेश होता है।पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व आज 10 सितंबर 2021, शुक्रवार को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जा रहा है। आज के दिन चित्रा नक्षत्र रहेगा और ब्रह्म योग रहेगा।गणेश चतुर्थी की तिथि से ही गणेश महोत्सव का आरंभ माना जाता है।पंचांग के अनुसार 19 सितंबर 2021, रविवार को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी की तिथि को गणेश महोत्सव का समापन होगा। गणेश महोत्सव का पर्व 10 दिनों तक मनाया जाता है।
गजशीश और मानव शरीर से संयोजित भगवान श्री विनायक अनेक नामों से तो मशहूर हैं ही, साथ में उनका संपूर्ण शरीर ही मैनेजमेंट का जीता-जागता उदाहरण है। इन्हें विघ्नविनाशक, विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। यही वजह है कि इन्हें मैं, मैनेजमेंट गुरु भी मानता हूँ। बप्पा से काफी कुछ सीख सकते हैं …बस, हमें सीखने के लिए तैयार होना है।
बड़ी सोच:- गणेश जी का बड़ा सिर बड़ी सोच को दर्शाता है। जो इंसान कामयाब होते हैं वे हमेशा बड़ी सोच रखते हैं। मैनेजमेंट में कहा जाता है थिंक बिग। भगवान का शीश हाथी का है। हाथी मूलत: शांत प्रवृत्ति का होता है, लेकिन चतुर होता है। गणपति का गजशीश भी यही प्रतीकता लिए है। सब कुछ समग्रता के साथ सोचें, उस पर मनन करें और फिर क्रियान्वित करें। उसी मूल के कारण हर कार्य में भगवान श्री गणेश को प्रथम पूजा जाता है।
पैनी नजर:- भगवान गणेश की आंखे शरीर की तुलना में छोटी होती हैं। ये पैनी नजर की ओर इशारा करती हैं। मैनेजमेंट का भी यही फंडा है कि किसी भी फैसले से पहले सभी पहलुओं पर नजर रखें। छोटी आंखें सूक्ष्मदर्शिता का प्रतीक हैं। लक्ष्यपरक दृष्टि से अपने लक्ष्य पर नजर रखी जानी चाहिए, जैसे चील आकाश में उड़ने के बावजूद अपने शिकार पर नजर गड़ाए रखती है और तुरंत झपट्टा मार लेती है। सफल मैनेजमेंट का सिद्धांत भी यही कहता है कि उद्देश्य पर नजर रखें तभी सफलता का स्वाद मिलेगा।
ध्यान से सुनना:- गणपति के कान विशालकाय होते हैं। बड़े होने के कारण वे हर छोटी-बड़ी बात को सुनने का प्रतीक हैं। अच्छे मैनेजमेंट के लिए भी यही जरूरी है, आप सभी की बात ध्यान से सुनें। ये तभी संभव है जब आप सचेत रहेंगे। जब आप दूसरे को सुनेंगे नहीं, उसके विचारों को जानेंगे नहीं, तब तक आप सफल प्रबंधक हो ही नहीं सकते।
कम बोलो:- गणपति सकरात्मकता के प्रतीक हैं। संस्थान में यदि आप सकारात्मक रहेंगे तो भगवान श्री गणेश की भांति लोकप्रिय तो रहेंगे ही, साथ एक सफल प्रबंधन भी कर सकने में समर्थ होंगे। एक अच्छा और सफल प्रबंधक वह होता है, जो भली-भांति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। भगवान गणेश का छोटा मुंह यह बताता है कि बात सोच समझकर बोलें। इंसान को फालतू नहीं बोलना चाहिए।
हालात भांपना:- सूंड यानी सूंघने की क्षमता, अर्थात हर जगह सजग रहना। हर अच्छी और बुरी चीज को पहचानना। आपकी सफलता काफी हद तक इस बात पर ही निर्भर रहती है कि आपकी ग्रहण शक्ति और पहचानने की क्षमता अच्छी हो। गणपति की सूंड यही सिखाती है। आने वाले हालात को भांपना ही मैनेजमेंट का सबसे बड़ा गुण माना जाता है।
एक लक्ष्य:- भगवान गणेश से यह भी सीखना चाहिए कि किस तरह से मैनेजेंट बैलेंस बनाकर चले। गणपति की नाक के पास उगा एक दांत, जिसके कारण वे एकदंत कहे जाते हैं, वह इस बात का द्योतक है कि मंजिल पर नजर ही है एकमात्र लक्ष्य। नाक की सीध में लक्ष्य पर निगाह। टारगेट ओरिएंटेड। एकसूत्रीय कार्यक्रम। यही मैनेजमेंट का भी फंडा है कि टारगेट पर निगाह रखें। भगवान के छोटे पैर बैलेंस का प्रतीक हैं। इससे मैनेजमेंट को संतुलन कैसे बनाना है इसका ध्यान रखना चाहिए।
बातें पचाना:- भगवान गणेश को लंबोदर भी कहा जाता है। कहते हैं कि किसी भी बात को पचाने के लिए पेट बड़ा होना चाहिए। यदि आप बातों का पचाना जानते हैं तो यह मैनेजमेंट का एक बड़ा गुण माना जाता है। इसे प्रबंधक का खास गुण कहा जाता है। इसका आश्य यह है कि जरा-सी असफलता पर विचलित न हो अपने लक्ष्य से विमुख न हो। उसे सहन करें और अपने लक्ष्य की ओर सतत अग्रसर होते जाएं।
सभी के साथ:- एक हाथ में वे मोदक पकड़े हैं तो दूसरे से आशीर्वाद दे रहे हैं। इसका अर्थ है मैनेजमेंट को सामने वाले से अच्छे संबंध रखने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। सफल प्रबंधन के लिए ये आवश्यक है। नियमों का पाश हो, अनियमितताओं पर अंकुश भी हो, श्रेष्ठकर्ता को पुरस्कार स्वरूप मीठा प्रसाद मोदक और कर्मचारियों को कार्य करने की आजादी यानी अभय का अवसर भी। यह भगवान गणेश का प्रबंधन है।
जीवन हो या जीवन पार करना हो एक ही मैनेजमेंट है वह है:बप्पा मैनेजमेंट। बप्पा का मैनेजमेंट है पर परिश्रम और निष्कपटता से आप को कर्मशील होना है।